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मिस्सा बलिदान अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस मिस्सा बलिदान अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस   (ANSA)

प्रार्थना वर्ष : पोप फ्राँसिस 'प्रार्थना की पाठशाला' स्थापित करेंगे

जब प्रार्थना वर्ष की शुरूआत हो रही है, वाटिकन के सुसमाचार प्रचार विभाग के अध्यक्ष एवं उप सचिव ने 2025 की जयंती के लिए काथलिकों को तैयारी करने में मदद करने के रूप में, इसके उद्देश्य की व्याख्या की है, यह घोषणा करते हुए कि पोप फ्रांसिस प्रत्येक ख्रीस्तीय के "विश्वास की सांस" के विभिन्न पहलुओं की खोज करने के लिए "प्रार्थना की पाठशाला" स्थापित करेंगे।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 23 जनवरी 2024 (रेई) : पोप फ्राँसिस ने रविवार को, जयंती वर्ष 2025 से पहले “प्रार्थना वर्ष” का उद्घाटन किया, जिसमें उन्होंने विश्वासियों का आह्वान किया कि वे "इस अनुग्रह से भरे अवसर को ठीक से जीने के लिए खुद को तैयार करने और ईश्वर में आशा की शक्ति का अनुभव करने के लिए अधिक उत्साह से प्रार्थना करें।"

वाटिकन प्रेस कार्यालय ने मंगलवार को एक प्रेस सम्मेलन में प्रार्थना वर्ष को प्रस्तुत किया। सम्मेलन का संचालन, सुसमाचार प्रचार विभाग के प्रो प्रिफेक्ट महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसिकेल्ला एवं विभाग के उपसचिव मोनसिन्योर ग्रहम बेल ने किया, जिनका विभाग प्रार्थना वर्ष के समन्वय के लिए उत्तरदायी है।  

धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों, धर्मप्रांतीय जुबली प्रतिनिधियों के लिए उपलब्धता

उन्होंने जानकारी दी कि सुसमाचार प्रचार विभाग, विश्वासियों को वर्ष को मनाने में मदद करने के लिए सामग्री उपलब्ध करेगा, और आगे स्पष्टीकरण देने के लिए धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों और धर्मप्रांतीय जयंती प्रतिनिधियों को इसकी उपलब्धता पर जोर देगा।

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने प्रार्थना के इस वर्ष का समर्थन करने के लिए विभाग की तत्परता दिखलाते हुए कहा कि पवित्र वर्ष 2025 की तैयारी का काम जारी है।

उन्होंने कहा, पवित्र वर्ष नजदीक आने के साथ, तीर्थयात्री जुबली वेबसाइट और ऐप के माध्यम से आगामी जयंती वर्ष के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

दैनिक प्रार्थना की हमारी आवश्यकता की खोज

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, “प्रार्थना का वर्ष, खास पहलों के साथ चिह्नित वर्ष नहीं है; बल्कि, यह एक विशेष समय है जिसमें प्रार्थना के मूल्य और हमारे ख्रीस्तीय जीवन में दैनिक प्रार्थना की आवश्यकता को फिर से खोजा जाना है।"

उन्होंने कहा, यह वर्ष "यह जानने का समय है कि डिजिटल संस्कृति के इस युग में प्रार्थना कैसे करें और इससे भी बढ़कर, आज के लोगों को प्रार्थना में कैसे बढ़ाया जाए, ताकि प्रार्थना प्रभावी और फलदायी हो सके।"

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि हमारे समय में आध्यात्मिकता की बड़ी आवश्यकता महसूस हो रही है।"

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने स्वीकार किया कि "लोग जो शीघ्रता से क्रूस का चिह्न बना लेते हैं, उनसे लेकर, जो दैनिक मिस्सा बलिदान में भाग लेते हैं, उन लोगों तक, प्रार्थना करने के तरीकों की इतनी विस्तृत श्रृंखला है कि कोई भी उन सभी का पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकता; वे त्वरित प्रार्थना से लेकर विचलित प्रार्थना, या मनन-चिंतन की प्रार्थना तक हो सकती हैं और दर्द के आँसुओं से भरी प्रार्थना भी हो सकती हैं।"

प्रार्थना को पूर्व-स्थापित तरीकों में कैद नहीं किया जा सकता, महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने माना, "कि यह उस अंतरंग और अनन्य रिश्ते के भीतर ईश्वर के साथ व्यक्ति के व्यक्तिगत संबंध की अभिव्यक्ति है जो हमारे विश्वास को विशिष्ठ बनाती है।"

प्रार्थना जो हमारे विश्वास को पोषित करती

उन्होंने कहा, "प्रार्थना का वर्ष, प्रभु के साथ हमारे रिश्ते को बढ़ावा देने, वास्तविक आध्यात्मिक विश्राम के क्षण प्रदान करने के एक तरीके के रूप में इस संदर्भ में फिट बैठता है। यह दैनिक तनाव से सुरक्षित एक नखलिस्तान की तरह है जहां प्रार्थना विश्वास, आशा, और दया के ख्रीस्तीय जीवन के लिए पोषण बन जाती है।"

यही कारण है कि, सुसमाचार प्रचार विभाग ने आनेवाले महीनों के लिए सामग्रियों और प्रार्थना सहायता की एक श्रृंखला तैयार की है जो प्रार्थना रूपों की एक "स्वर समता" बन सकती है जिसे ख्रीस्तीय समुदाय और व्यक्तिगत विश्वासी उपयोग कर सकते हैं।

पोप फ्राँसिस "प्रार्थना पर टिप्पणी" श्रृंखला के पहले खंड के परिचय में लिखते हैं: "प्रार्थना विश्वास की सांस है; यह इसकी सबसे उपयुक्त अभिव्यक्ति है। एक पुकार की तरह है जो उन लोगों के दिल से निकलती है जो विश्वास करते हैं और खुद को ईश्वर को सौंपते हैं।"

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेल्ला ने कहा, "यह ऐसा वर्ष नहीं होगा जो स्थानीय कलीसियाओं की पहल में बाधा डालेगा।" "बल्कि, इसे एक ऐसे दौर के रूप में देखा जाना चाहिए जिसमें हर नियोजित पहल को प्रभावी ढंग से समर्थन दिया जाएगा, क्योंकि इसकी नींव में प्रार्थना है।"

"इसलिए, हमें विशिष्ट घटनाओं की श्रृंखला की नहीं, बल्कि विचारों और सुझावों की अपेक्षा करनी चाहिए, ताकि कलीसिया की प्रार्थना एक बार फिर से पुनर्जीवित हो सके और प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के जीवन पर अपनी छाप छोड़ सके।"

मनन-चिंतन में साथ देने के तरीके

प्रार्थना के मूल्य को बेहतर ढंग से समझने के लिए महाधर्माध्यक्ष फिसिकेल्ला ने हमारे मनन-ध्यान और पढ़ने में साथ देने के दो तरीके सुझाए।

उन्होंने 6 मई 2020 से 16 जून 2021 तक पोप फ्राँसिस की 38 धर्मशिक्षा माला का उदाहरण दिया, जो प्रार्थना के विभिन्न रूपों पर विचार करती हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें फिर से पढ़ा जाना चाहिए, क्योंकि उनमें कई उपयोगी सुझाव हैं। दूसरा, उन्होंने कहा कि उनका विभाग "प्रार्थना पर टिप्पणी" (नोट्स ऑन प्रेयर) शीर्षक से संस्करणों की एक श्रृंखला तैयार कर रहा है।

आठ खंडों की श्रृंखला

मोनसिग्नोर ग्राहम बेल ने प्रार्थना के इस वर्ष की तैयारी और समर्थन के लिए विभाग की वर्तमान परियोजनाओं का वर्णन किया।

उन्होंने कहा, "वाटिकन पब्लिशिंग हाउस (एलईवी), आज, छोटी पुस्तिकाओं की एक श्रृंखला के साथ, शुरू कर रहा है, जो अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखकों द्वारा हस्ताक्षरित, सुसमाचार प्रचार विभाग द्वारा संपादित - विश्व में सुसमाचार प्रचार के संबंध में मौलिक प्रश्नों के अनुभाग द्वारा, ख्रीस्तीय प्रार्थनाओं के विभिन्न आयामों को उजागर करती है।”

उन्होंने कहा, आठ खंडों वाली यह श्रृंखला, विश्वासियों को प्रार्थना की प्रज्ञा में आगे बढ़ने में मदद करने के लिए उपयोगी सहायता प्रदान करने हेतु विभिन्न धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों में उपलब्ध कराई जायगी।

मोनसिन्योर बेल ने कहा, “पहली पुस्तक,  आज प्रार्थना करना है। जो एक चुनौती है जिसपर जीत पाना है। (एलईवी, पीपी. 110, यूरो 8.50), पोप फ्राँसिस की प्रस्तावना के साथ, कार्डिनल एंजेलो कोमास्त्री द्वारा लिखी गयी है, जो आध्यात्मिकता के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं, जिन्होंने पहले वाटिकन सिटी और संत पेत्रुस महागिरजाघर के महापुरोहित के विकर जनरल के रूप में कार्य किया था।

उन्होंने बताया कि यह पुस्तिका 23 जनवरी से किताबों की दुकानों में उपलब्ध है, जिसमें लिस्यु की संत तेरेसा, असीसी के संत फ्रांसिस और कलकत्ता की मदर तेरेसा जैसे संतों को उजागर करते हुए "एक अलग नज़र और एक अलग दिल" रखने के लिए प्रार्थना और शिक्षाओं की आवश्यकता की याद दिलाई गई है, जिन्होंने प्रार्थना की फलदायीता की गवाही दी है।

'ईश्वर के साथ सबकुछ संभव'

मोनसिन्योर बेल ने कहा कि प्रस्तावना में, पोप फ्रांसिस याद करते हैं कि "प्रार्थना विश्वास की सांस है; यह इसकी सबसे उपयुक्त अभिव्यक्ति है। एक मूक पुकार की तरह है जो उन लोगों के दिल से निकलती है जो विश्वास करते हैं और खुद को ईश्वर को सौंपते हैं।"

मोनसिग्नोर बेल कार्डिनल कोमास्त्री के कथन को स्वीकार करते हैं जो कहते हैं कि "केवल प्रार्थना ही हमारे जीवन और दुनिया के इतिहास में ईश्वर को स्थान देती है: और ईश्वर के साथ सब कुछ संभव है।"

सात अन्य खंड जिनको आनेवाले दिनों में प्रकाशित किया जाएगा : स्तोत्र के साथ प्रार्थना, जॉनफ्रांको रवासी (फरवरी 2024); येसु की प्रार्थना, जुवन लोपेज वेरगारा (फरवरी 2024); संतों और पापियों के साथ प्रार्थना करना, पौल मुरे ओपी (मार्च 2024); प्रार्थना पर दृष्टांत, अंतोनियो पित्ता (मार्च 2024); मरियम और संतों की प्रार्थना, कैथरिन औबिन (अप्रैल 2024); येसु की सिखायी हुई प्रार्थना : हे हमारे पिता, उगो वान्नी (अप्रैल 2024)   

पोप फ्राँसिस और 'प्रार्थना की पाठशाला'

इन सामग्रियों के साथ, सुसमाचार प्रचार विभाग प्रेरितिक सहायता तैयार करेगा, जो समुदाय में, परिवार में, पुरोहितों, मठवासी धर्मबहनों, तीर्थस्थलों और युवा लोगों के लिए प्रार्थना की विभिन्न अभिव्यक्तियों को नए सिरे से प्रस्तुत करेगा।

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेल्ला ने कहा कि ये नई प्रार्थनाएँ नहीं हैं लेकिन हमें दैनिक प्रार्थना की आवश्यकता के बारे में अधिक जागरूकता के साथ जीने में मदद करेंगे।"

उन्होंने बतलाया कि इस वर्ष के दौरान संत पापा एक “प्रार्थना की पाठशाला” स्थापित करेंगे। प्रार्थना की पाठशाला में "एक साथ प्रार्थना करने और प्रार्थना के विभिन्न रूपों को बेहतर ढंग से समझने के लिए लोगों के विशिष्ट दलों के साथ मुलाकाते होंगी: जिनमें धन्यवाद से लेकर मध्यस्थता प्रार्थना; मनन-चिंतन की प्रार्थना से सांत्वना की प्रार्थना; आराधना से निवेदन की प्रार्थनाएँ की जायेंगी।"

वाटिकन के अधिकारियों ने पोप फ्राँसिस के शब्दों को याद करते हुए निष्कर्ष निकाला: "हमें यकीन है कि बिशप, पुरोहित, उपयाजक और प्रचारक इस वर्ष आशा की उद्घोषणा के केंद्र में प्रार्थना को स्थान देने के लिए उचित तरीके खोज लेंगे ताकि इन कठिन समय में 2025 की जयंती पूरे देश में गूंजेगी।"

 

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23 January 2024, 17:33