पोप : कलाकार मानवता को 'अपना रास्ता न खोने' में मदद करते हैं
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, रविवार 17 फरवरी 2025 (रेई) : कलाकारों एवं संस्कृति जगत की जयन्ती के अवसर रविवार 16 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजाघर में महामहीम कार्डिनल जोश तोलेंतीनो दी मेनडोंका ने पोप की ओर से समारोही ख्रीस्तीय अर्पित किया।
इस अवसर पर संत पापा फ्राँसिस के तैयार उपदेश को प्रस्तुत करते हुए कार्डिनल तोलेंतीनो ने कहा, “हमने सुसमाचार में अभी-अभी सुना, येसु अपने शिष्यों और लोगों की एक बड़ी भीड़ को धन्यताओं के बारे बतलाते हैं। उन्होंने कहा, “हमने उसे कई बार सुना है, फिर भी यह हमें अब भी आश्चर्यचकित करता है : "धन्य हो तुम, जो दरिद्र हो! स्वर्गराज्य तुम लोगों का है।” (लूक. 6:20–21) ये शब्द हमारी सांसारिक मानसिकता को पलट देते हैं और हमें वास्तविकता को नई नजरों से, ईश्वर की दृष्टि से देखने के लिए आमंत्रित करते हैं, ताकि हम दिखावे से परे देख सकें और कमजोरी एवं पीड़ा के बीच भी सुंदरता को पहचान सकें।
कार्डिनल ने कहा, “सुसमाचार के दूसरे भाग में कठोर और चेतावनी भरे शब्द हैं: "परन्तु धिक्कार तुम्हें जो धनवान हो, क्योंकि तुम अपनी सांत्वना पा चुके हो। धिक्कार तुम्हें जो अब तृप्त हो, क्योंकि तुम भूखे रहोगे। धिक्कार तुम्हें जो अब हंसते हो, क्योंकि तुम शोक मनाओगे और रोओगे।" (लूक.6:24–25)
संत पापा कहते हैं कि “धन्य हो तुम” और “धिक्कार तुम्हें” के बीच विरोधाभास हमें आत्मपरख के महत्व की याद दिलाता है।
सच्चाई, अच्छाई और सुंदरता को उजागर करना
वे कहते हैं, “कलाकारों और संस्कृति की दुनिया के प्रतिनिधियों के रूप में, आप धन्यताओं की क्रांतिकारी दृष्टिकोण के साक्षी बनने के लिए बुलाये जाते हैं। आपका मिशन न केवल सुंदरता का निर्माण करना है, बल्कि इतिहास की तहों में छिपी सच्चाई, अच्छाई और सुंदरता को उजागर करना, बेजुबानों को आवाज़ देना और दर्द को उम्मीद में बदलना भी है।”
कलाकारों के कर्तव्यों की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा, “हम जटिल वित्तीय और सामाजिक संकटों के दौर में जी रहे हैं, लेकिन हमारे समय में सबसे बढ़कर आध्यात्मिक संकट है, सार्थकता का संकट। हम समय और उद्देश्य के बारे में खुद से सवाल पूछें। क्या हम तीर्थयात्री हैं या भटकनेवाले? क्या हमारी यात्रा का कोई गंतव्य है, या हम दिशाहीन हैं? कलाकारों का काम मनुष्यों को अपना रास्ता न खोने देने और आशावादी दृष्टिकोण बनाए रखने में मदद करना है।”
सच्ची आशा
हालांकि संत पापा ने सचेत किया, “लेकिन, सावधान रहें, आशा सरल, सतही या अमूर्त नहीं है।” सच्ची आशा मानव अस्तित्व के नाटक में गुंथी हुई है। आशा एक सुविधाजनक शरणस्थल नहीं है, बल्कि एक आग है जो जलती है और प्रकाश बिखेरती है, जैसे ईश्वर का वचन। यही कारण है कि सच्ची कला हमेशा रहस्य के साथ मुलाकात है, उस सुंदरता के साथ जो हमसे परे है, उस दर्द के साथ जो हमसे सवाल करता है, उस सत्य के साथ जो हमें बुलाता है।
इसके विपरीत, ईश्वर चेतावनी देते हैं, धिक्कार तुम्हें...
जैसा कि कवि जेरार्ड मैनले होपकिन्स लिखते हैं, “दुनिया ईश्वर की भव्यता से भरी है। यह जलकर बुझ जाएगी, जैसे हिलती हुई पन्नी से चमक रही हो।" कलाकार का मिशन इस छिपी हुई महानता को खोजना और उसे प्रकट करना है, ताकि वह हमारी आँखों और दिलों के लिए बोधगम्य हो सके। उसी कवि ने दुनिया में “सीसे की प्रतिध्वनि” और “सुनहरी प्रतिध्वनि” को भी देखा। कलाकार इन प्रतिध्वनियों के प्रति संवेदनशील होते हैं और अपने काम के माध्यम से वे इस दुनिया की घटनाओं की विभिन्न प्रतिध्वनियों के बारे में आत्मपरख का प्रयोग करते हैं तथा दूसरों को भी ऐसा करने में मदद करते हैं।
और संस्कृति के पुरुषों एवं महिलाओं को इन प्रतिध्वनियों का मूल्यांकन करने, उन्हें हमें समझाने और उस मार्ग को उजागर करने के लिए बुलाया जाता है जिस पर वे हमें ले जाते हैं: चाहे वे मोहने वाले संगीत हों या हमारी सच्ची मानवता की पुकार। आपसे यह समझने के लिए कहा जाता है कि “हवा से बिखरी हुई भूसी” और “पानी की धाराओं के किनारे लगाए गए पेड़” जो फल देने में सक्षम है, उनके बीच क्या अंतर है। (स्तोत्र 1:3-4)
कलाकार दिमाग को प्रबुद्ध करें और दिलों में उष्मा लायें
प्यारे कलाकारो, मैं आपमें सौंदर्य के संरक्षकों को देखता हूँ जो हमारी दुनिया की टूटेपन पर ध्यान देने के लिए तैयार हैं, उन लोगों की पुकार सुनने के लिए तैयार हैं जो गरीब हैं, पीड़ित हैं, घायल हैं, कैद हैं, सताए गए हैं या शरणार्थी हैं। मैं आपमें आनंद के संरक्षकों को देखता हूँ! हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब नई दीवारें खड़ी की जा रही हैं, जब मतभेद आपसी समृद्धि के अवसर के बजाय विभाजन का बहाना बन रहे हैं। लेकिन आप, संस्कृति की दुनिया के पुरुष और महिलाएँ, पुल बनाने, मुलाकात और संवाद के लिए जगह बनाने, दिमाग को प्रबुद्ध करने और दिलों में उष्मा लाने के लिए बुलाए गए हैं।
कुछ लोग कहेंगे : लेकिन हमारी इस अनोखी दुनिया में कला का क्या काम है? क्या करने के लिए कोई अधिक जरूरी, अधिक व्यावहारिक, ज्यादा महत्वपूर्ण काम नहीं हैं?" और फिर भी, कला कोई विलासिता नहीं है, बल्कि कुछ ऐसा है जिसकी आत्मा को जरूरत है। यह वास्तविकता से भागना नहीं है, बल्कि एक आरोप है, कार्रवाई का आह्वान है, एक अपील है और एक पुकार है। सच्ची सुंदरता के बारे में शिक्षित करना आशा के बारे में शिक्षित करना है। और आशा कभी भी अस्तित्व के नाटक से अलग नहीं होती; यह हमारे दैनिक संघर्षों, जीवन की कठिनाइयों और हमारे समय की चुनौतियों से होकर गुजरती है।
कला एक नई दुनिया का अग्रदूत बने
आज हमने जो सुसमाचार सुना है, उसमें येसु ने उन लोगों को धन्य घोषित किया है जो गरीब, पीड़ित, नम्र और सताए गए हैं। यह मानसिकता का परिवर्तन है, दृष्टिकोण की क्रांति है। कलाकारों को इस क्रांति में भाग लेने के लिए बुलाया जाता है। दुनिया को भविष्यवक्ता कलाकारों, साहसी बुद्धिजीवियों और संस्कृति के रचनाकारों की आवश्यकता है।
सुसमाचार के धन्य वचन हमारा मार्गदर्शन करें, और आपकी कला एक नई दुनिया का अग्रदूत बने। हमें आपकी कविता देखने दें! खोज, प्रश्न और जोखिम उठाना कभी बंद न करें। सच्ची कला कभी आसान नहीं होती; यह बेचैनी की शांति प्रदान करती है। और यह मत भूलिए कि आशा कोई भ्रम नहीं है; सुंदरता कोई स्वप्नलोक नहीं है। आपका उपहार कोई यादृच्छिक उपहार नहीं है, बल्कि एक आह्वान है। तो, उदारता, जुनून और प्रेम के साथ जवाब दें।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here