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आल्प्स धर्मप्रांत के सदस्यों और उन्हें समर्पित ऑर्डर ऑफ केनन से एक मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस आल्प्स धर्मप्रांत के सदस्यों और उन्हें समर्पित ऑर्डर ऑफ केनन से एक मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

पोप फ्राँसिस ने आल्प्स के संत बेर्नार्ड ऑफ एओस्टा को याद किया

आल्प्स धर्मप्रांत के सदस्यों और उन्हें समर्पित ऑर्डर ऑफ केनन से एक मुलाकात में, पोप फ्राँसिस ने सेंट बेर्नार्ड ऑफ एओस्टा की विरासत पर चर्चा की, जो पर्वतारोहियों, यात्रियों और आल्प्स में रहनेवाले सभी लोगों के संरक्षक संत हैं।

वाटिकन न्यूज

पर्वतारोहियों, यात्रियों और आल्प्स में रहनेवाले सभी लोगों के संरक्षक संत, एओस्टा (उत्तरी इटली का एक पहाड़ी क्षेत्र) के संत बेर्नार्ड ने अपना जीवन शांति, स्वागत और सद्भाव की घोषणा करने के लिए समर्पित कर दिया।

पोप फ्राँसिस ने सोमवार, 11 नवंबर को एओस्टा धर्मप्रांत और सेंट बर्नार्ड के कैनन रेगुलर के प्रतिनिधिमंडलों को संबोधित करते हुए इन्ही तीन विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

पोप के साथ मुलाकात ने संत बेर्नार्ड के संत बनने की 900वीं वर्षगांठ और उनके जन्म की 1000वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में जयंती वर्ष के समापन को रेखांकित किया।

असफलता के बावजूद शांति को बढ़ावा देना

अपने संबोधन में, पोप फ्रांसिस ने शांति के प्रति संत बेर्नार्ड के समर्पण पर जोर दिया, जिन्होंने पाविया की अपनी यात्रा में बीमारी के कारण कमजोर हो गए थे, ताकि सम्राट हेनरी चतुर्थ को पोप ग्रेगरी सातवें के खिलाफ युद्ध छेड़ने से रोका जा सके।

उनका मिशन असफल रहा और संत ने इस प्रयास की कीमत अपने जीवन से चुकाई, और वापस लौटने के कुछ समय बाद ही उनका निधन हो गया।

पोप ने कहा, "विफलता के बावजूद बिना हतोत्साहित हुए शांति को बढ़ावा देना एक ऐसा सदगुण है जिसकी हमें आज पहले से कहीं ज़्यादा जरूरत है।"

यात्रियों की देखभाल

पोप फ्राँसिस ने संत बेर्नार्ड की एक उपदेशक के रूप में प्रतिष्ठा का भी उल्लेख किया "जो सबसे कठोर दिलों को भी छू सकते थे।" पोप ने कहा कि संत ने सुसमाचार फैलाने के लिए "खुद को अथक रूप से समर्पित किया।"

आतिथ्य के विषय पर बात करते हुए, पोप फ्राँसिस ने कहा कि मोंट ब्लांक के पास चुनौतीपूर्ण अल्पाइन दर्रे को पार करनेवाले यात्रियों के लिए संत बर्नार्ड की चिंता ने उन्हें व्यापक प्रशंसा दिलायी।

पोप ने बताया कि ये क्रॉसिंग खतरनाक थीं, जहाँ यात्रियों को खो जाने, हमला होने या बर्फ में जम कर मरने का जोखिम रहता था। संकट में फंसे लोगों की सहायता के लिए, संत बेर्नार्ड ने दो धर्मशालाएँ स्थापित कीं, जिनमें कैनन कार्यरत थे, जो आज भी "यहाँ ख्रीस्त की उपासना और उनका पोषण किया जाता है" के आदर्शवाक्य के साथ मिशन जारी रखा जाता है।

पोप फ्राँसिस ने बिना किसी भेदभाव के, इस आतिथ्य को शरीर और आत्मा से मदद मांगनेवाले किसी भी व्यक्ति का स्वागत करना और उसकी देखभाल करना, “वर्तमान समय के लिए एक आदर्श” बताया।

बर्फ की कुल्हाड़ी और रस्सी

अपने भाषण को समाप्त करते हुए, पोप फ्राँसिस ने संत बेर्नार्ड के जीवन के प्रमुख पहलुओं को दर्शाने के लिए “पहाड़ों के दो प्रतीकों” को याद किया : बर्फ की कुल्हाड़ी और रस्सी की टीम।

पोप ने कहा कि संत बेर्नार्ड की बर्फ की कुल्हाड़ी ईश्वर का वचन है, जिसके साथ वह "सबसे ठंडे और कठोर दिलों को भी छील सकता है।" इस बीच, रस्सी टीम "खतरनाक रास्तों पर दूसरों की मदद करके उनके लक्ष्यों तक पहुँचती है" समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। पोप फ्रांसिस ने अंत में अपनी आशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम भी "संत बेर्नार्ड की तरह अच्छे रास्तों पर ऊंचे पहाड़ों और सबसे बढ़कर, दिल के भीतर चल सकते हैं।"

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12 November 2024, 16:16