ҽ

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

देवदूत प्रार्थना में पोप : जब आप सचमुच प्रभु को जान लेते हैं तो सब कुछ बदल जाता है

रविवार को सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए, संत पापा फ्राँसिस हमें याद दिलाते हैं कि प्रभु को जानना महत्वपूर्ण है, लेकिन उनका अनुसरण करना और उनके सुसमाचार द्वारा स्वयं को परिवर्तित होने देना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, ताकि हम वास्तव में बदल सकें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, रविवार, 15 सितंबर 2024 (रेई) : वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज की धर्मविधि का सुसमाचार पाठ हमें बताता है कि येसु ने अपने शिष्यों से यह पूछने के बाद कि लोग उनके बारे में क्या सोचते हैं, उनसे सीधे पूछा: “और तुम क्या कहते हो कि मैं कौन हूँ?”(मार. 8:29) पेत्रुस ने सभी लोगों की ओर से उत्तर देते हुए कहा, “आप मसीह हैं।”(30) अर्थात् आप ख्रीस्त हैं। हालाँकि, जब येसु उस पीड़ा और मृत्यु के बारे में बात करना शुरू करते हैं जो आनेवाली है, तो वही पेत्रुस आपत्ति करता है, और येसु उसे कठोरता से डांटते हैं: "हट जाओ शैतान, तुम ईश्वर की बातें नहीं, बल्कि मनुष्यों की बातें सोचते हो।"(33)

येसु को सचमुच जानना

प्रेरित पेत्रुस के रवैये को देखकर, हम भी खुद से पूछ सकते हैं कि येसु को सचमुच जानने का क्या मतलब है।

वास्तव में, एक तरफ पेत्रुस ने येसु से यह कहते हुए सही उत्तर दिया कि वे मसीह हैं। हालाँकि, इन सही शब्दों के पीछे अभी भी एक सोच है जो "मनुष्यों की" है, एक मानसिकता जो एक मजबूत और विजयी मसीहा की कल्पना करती है, जो पीड़ित नहीं हो सकती, न ही मर सकती। इसलिए, जिन शब्दों के साथ पेत्रुस जवाब देते हैं वे "सही" हैं, लेकिन उनकी सोच का तरीका नहीं बदला है। उन्हें अभी भी अपनी मानसिकता बदलनी है, अभी भी मन-परिवर्तन करना है।

संत पापा ने कहा, “और ये एक संदेश है, हमारे लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है। वास्तव में, हमने भी ईश्वर के बारे में कुछ सीखा है, हम सिद्धांत जानते हैं, हम प्रार्थनाओं को सही ढंग से पढ़ते हैं और, शायद, जब पूछा जाता है कि "आपके लिए येसु कौन हैं?" हम धर्मशिक्षा में सीखे गए कुछ सूत्रों के साथ अच्छा जवाब देते हैं। लेकिन क्या हमें यकीन है कि इसका मतलब वास्तव में येसु को जानना है? वास्तव में, प्रभु को जानने के लिए उसके बारे में कुछ जानकारी रखना पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनका अनुसरण करना आवश्यक है, हमें उनके सुसमाचार से प्रभावित होना और परिवर्तित होना है।

येसु मेरे लिए कौन हैं?

यानी, यह उनके साथ एक रिश्ता बनाना, एक मुलाकात करना है। मैं येसु के बारे में बहुत सी बातें जान सकता हूँ, लेकिन अगर मैं उनसे नहीं मिला हूँ, तो मैं अभी भी नहीं जानता कि येसु कौन हैं। इस जीवन-परिवर्तनकारी मुलाकात की आवश्यकता है: यह आपके व्यवहार के तरीके बदल देता है, आपके सोचने के तरीके को बदलता है आपके अपने भाइयों के साथ जो रिश्ते हैं, स्वागत करने और माफ करने की इच्छा, यह जीवन में आपके द्वारा चुने गए विकल्पों को बदल देती है।

 नाज़ीवाद के शिकार लूथरन ईशशास्त्री और पादरी बोनहोफ़र ने इस तरह लिखा है, "जो समस्या कभी शांत होने नहीं देती, वह यह जानना है कि ख्रीस्तीय धर्म वास्तव में आज हमारे लिए क्या मायने रखते हैं या मसीह कौन है।" (प्रतिरोध और समर्पण। जेल से पत्र और लेख, सिनिसेलो बालसामो 1996, 348)।

संत पापा ने कहा, “दुर्भाग्य से, बहुत से लोग अब खुद से ये सवाल नहीं पूछते और "शांत", सोए रहते हैं, यहां तक ​​कि ईश्वर से भी दूर रहते हैं। खुद से यह पूछना महत्वपूर्ण है: क्या मैं खुद को परेशान होने देता हूँ, क्या मैं खुद से पूछता हूँ कि येसु मेरे लिए कौन हैं और उनका क्या स्थान है?

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 September 2024, 13:24

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

ताजा देवदूत प्रार्थना/स्वर्ग की रानी

सभी को पढ़ें >