ҽ

संत पापा रविवारीय देवदूत प्रार्थना में संत पापा रविवारीय देवदूत प्रार्थना में  (Vatican Media)

संत पापाः जीवन की पूर्णतः येसु में

संत पापा फ्रांसिस ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में अनंत जीवन, ईश्वर के वचनों की ओर प्रकाश डालते हुए, येसु में अनंत जीवन की पू्र्णतः मिलने की बात कही।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवारीय देवदूत प्रार्थना हेतु एकत्रित हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो शुभ रविवार।

आज की धर्मविधि का सुसमाचार हमें संत पेत्रुस के उस प्रसिद्ध उत्तर से संयुक्त करता है जहाँ वे येसु से कहते हैं- “प्रभु हम किसके पास जाये? आप के ही वचनों में अनंत जीवन का संदेश है।” यह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है जो हमें पेत्रुस और अन्य शिष्यों का येसु ख्रीस्त से, मित्रता का साक्ष्य और विश्वास में उनसे जुड़े होने की बात व्यक्त करता है। “प्रभु हम किसके पास जाये? आपके वचनों में ही तो अनंत जीवन है।”

कठिन शिक्षा

संत पापा ने कहा कि पेत्रुस के वचन एक गंभीर स्थिति में व्यक्त किये जाते हैं। येसु ने अपनी एक शिक्षा ठीक खत्म की थी जहाँ उन्होंने कहा था कि वे स्वर्ग से उतरी हुई जीवन की रोटी हैं। उनकी यह भाषा बहुत से लोगों को समझने में कठिन लगती है, यह इस हद तक होता है कि बहुत से शिष्य जो उन अनुसरण कर रहे थे, उन्हें छोड़े देते हैं क्योंकि वे उनके इन वचनों को नहीं समझते हैं।  

बाराह, यद्यपि उनके साथ रह जाते हैं। वे उनके संग रह जाते हैं क्योंकि उन्होंने उनके “शब्दों में अनंत जीवन को पाया।” संत पापा ने कहा उन्होंने उनके वचनों को सुना था, उनके द्वारा किये गये चमत्कारों को देखा था, और उन्होंने उनके जनसामान्य जीवन में भाग लेते हुए दैनिक जीवन में अपने को गहराई से संयुक्त किया था।

येसु की शिक्षा कठिन, निष्ठा की मांग

संत पापा ने कहा कि शिष्यगण स्वामी की बातों और कार्यों को सब समय नहीं समझते हैं। कभी-कभी उन्हें प्रेम के विरोधाभाव अभिव्यक्तियों को समझने में कठिनाई होती है, उनके द्वारा करूणा की बड़ी मांग, अतिविशेष रुप में, अपने को सभों के लिए प्रस्तुत करना उनकी समझ से परे होता है। वे येसु को नहीं समझ पाते हैं लेकिन वे उनके प्रति निष्ठावान बने रहते हैं। येसु का चुनाव सामान्य सोच-विचारों से परे जाता है, मान्यप्राप्त धर्मों और परपंराओं से परे, यहाँ तक कि वे एक विरोधाभाव और लज्जाजनक परिस्थितियाँ उत्पन्न करते हैं। इस भांति उनका अनुसरण करना चेलों के लिए सहज नहीं होता है।

जीवन की पूर्णतः येसु में

फिर भी, उस समय के बहुत से गुरूओं के बीच, पेत्रुस और अन्य दूसरे शिष्य सिर्फ उनमें जीवन की प्यास, खुशी और प्रेम का उत्तर पाते हैं जो उन्हें प्रभावित करता है। वे पाप और मृत्यु से परे येसु में जीवन की पूर्ण जिसकी वे खोज करते हैं, प्राप्त करते हैं। और यही कारण है वे उनका परित्याग नहीं करते हैं। वास्तव में, जीवन की असफलताओं के मध्य और बहुत सारे पश्चतापों के बीच केवल वे ही हैं जो उनके साथ अंत तक बने रहते हैं।   

येसु के करीब रहें

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि यह हम सभों के संग भी लागू होता है। हम भी येसु का अनुसरण करने में अपने को सहज नहीं पाते हैं, हमें उनके कार्य करने की शैली को समझने में, उनके तरीकों और उदाहरणओं को अपना बनाने में कठिनाई का अनुभव होता है। यह हमारे लिए सहज नहीं है। यद्यपि, हम उनके जितना करीब आते उतना ही- हम उनके सुसमाचार के निकट होते हैं, हम संस्कारों के द्वारा कृपाओं को पाते हैं, हम प्रार्थना में उनसे जुड़े होते, नम्रता और प्रेम में उनका अनुसरण करते हैं, अधिक हम उनकी मित्रता की सुन्दरता का एहसास और अनुभव करते हैं जो हमारे लिए “अनंत जीवन के वचन हैं।”

आत्म-परख करें

अतः हम अपने आप से पूछें, येसु कितना अधिक मेरे जीवन में उपस्थिति हैं? मैं अपने को उनके शब्दों के द्वारा कितना अधिक स्पर्श और प्रभावित होने देता हूँ? क्या मैं यह कह सकता हूँ कि उनके शब्द मेरे लिए अनंत जीवन हैं? संत पापा ने सभों के लिए यह सवाल रखा, क्या येसु के वचन आपके लिए मेरे लिए अनंत जीवन है?

मरियम जिन्होंने ईश्वर के वचन स्वरुप येसु को स्वीकार किया, हमें उनकी सुनने और उनका परित्याग कभी न करने में मदद करें। इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

मंकीपोक्स महामारी प्रभावितों की याद  

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने पुनः सभों का अभिवादन करते हुए कहा कि मैं मंकीपोक्स से ग्रस्ति लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ जो इस समय वैश्विक स्वास्थ्य की विशेष आवश्यकता बन गई है। उन्होंने गंभीर रुप से प्रभावित देश कोंगो के लोंगो के लिए प्रार्थना की। संत पापा ने देश की स्थानीय कलीसियाओं जो इसके द्वारा प्रभावित हैं अपनी संवेदना प्रकट की और सरकारों और व्यक्तिगत उद्योगिकी संस्थानों से निवेदन किया कि वे इसकी रोकथाम हेतु तकनीकी और स्वास्थ्य सामग्री साझा करें जिससे लोग इसकी कमी का अनुभव न करें।

संत पापा फ्रांसिस ने निकारागुआ के लोगों की याद करते हुए उन्हें येसु ख्रीस्त में अपनी आशा को बनाये रखने का आहृवान किया। “हम इस बात की याद करें कि पवित्र आत्मा अपने महान परियोजनाओं के द्वारा इतिहास को आगे ले चलते हैं।” माता मरियम आप सभों की सहायिका बनें और आपकी ममतामयी करूणा में आपकी मदद करें।

संत पापाः येसु के वचनों में जीवन की पूर्णतः है

प्रार्थना करने की स्वतंत्रता मिले

संत पापा ने युद्धग्रस्त देशों की याद करते हुए विशेष कर यूक्रेन में लागू किये गये नये नियमों के संबंध में कहा कि वे जो प्रार्थना करते हैं वे सभों के लिए सचमुच में प्रार्थना करते हैं। व्यक्ति प्रार्थना के कारण बुराई नहीं करता है। यदि कोई व्यक्ति उन व्यक्तियों के प्रति बुराई करता है तो वह दोषीदार होगा, लेकिन किसी व्यक्ति को यह कहते हुए बुराई नहीं करना चाहिए क्योंकि उसने प्रार्थना की है। उन्होंने लोगों को किसी भी गिरजाघर में प्रार्थना करने की स्वतंत्रता दी जाने की बात कही।

शांति हेतु प्रार्थना करें

उन्होंने युद्ध से प्रभावित देशों, फिलीस्तीन, इस्रराएल, मयांमार और अन्य प्रांतों के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया। “लोग शांति की खोज कर रहे हैं, हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें शांति प्रदान करें।”

इसके उपरांत संत पापा ने रोम, इटली और विभिन्न स्थानों से आये हुए तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया। उन्होंने दक्षिण आमेरीकी गुरूकुल के नये विद्यार्थियों का अभिवादन करते हुए उन्हें अपनी पुरोहिताई को खुशी में जीने का आहृवान किया। संत पापा ने युवाओं और विशेष योग्यताओं से ग्रस्ति लोगों का अभिवादन किया।

अंत में संत पापा ने अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएँ अर्पित करते हुए विदा ली।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

25 August 2024, 19:44

दूत-संवाद की प्रार्थना एक ऐसी प्रार्थना है जिसको शरीरधारण के रहस्य की स्मृति में दिन में तीन बार की जाती है : सुबह 6.00 बजे, मध्याह्न एवं संध्या 6.00 बजे, और इस समय देवदूत प्रार्थना की घंटी बजायी जाती है। दूत-संवाद शब्द "प्रभु के दूत ने मरियम को संदेश दिया" से आता है जिसमें तीन छोटे पाठ होते हैं जो प्रभु येसु के शरीरधारण पर प्रकाश डालते हैं और साथ ही साथ तीन प्रणाम मरियम की विन्ती दुहरायी जाती है।

यह प्रार्थना संत पापा द्वारा रविवारों एवं महापर्वों के अवसरों पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में किया जाता है। देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा एक छोटा संदेश प्रस्तुत करते हैं जो उस दिन के पाठ पर आधारित होता है, जिसके बाद वे तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हैं। पास्का से लेकर पेंतेकोस्त तक देवदूत प्रार्थना के स्थान पर "स्वर्ग की रानी" प्रार्थना की जाती है जो येसु ख्रीस्त के पुनरूत्थान की यादगारी में की जाने वाली प्रार्थना है। इसके अंत में "पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा की महिमा हो..." तीन बार की जाती है।

ताजा देवदूत प्रार्थना/स्वर्ग की रानी

सभी को पढ़ें >