निकारागुआ ने येसु समाजियों पर प्रतिबंध लगाया और उनकी सारी संपत्ति जब्त कर ली
वाटिकन न्यूज
निकारागुआ, बृहस्पतिवार, 24 अगस्त 23 (रेई) : मध्य अमेरिकी प्रोविंस के येसु समाजियों ने इस प्रावधान की कड़ी निंदा की है। दुनिया भर में विरोध और निंदा के बावजूद, काथलिक कलॶसिया और विपक्ष के खिलाफ सैंडिनिस्ता शासन की कार्रवाई बेरोकटोक जारी है।
मानागुआ में सेंट्रल अमेरिकन यूनिवर्सिटी (यूसीए) के पास जेसुइट पुरोहितों के एक समुदाय को उनके निजी निवास से निष्कासित करने और विश्वविद्यालय को जब्त करने के बाद, बुधवार, 23 अगस्त को, निकारागुआ के अधिकारियों ने पूरे येसु समाज (सोसाईटी ऑफ जीजस) को देश से प्रतिबंधित कर दिया और जब्त करने का आदेश दिया, इस दावे के साथ कि धर्मसंघ सभी सम्पतियों के कर रिपोर्टिंग का अनुपालन करने में विफल रही हैं।
यह कदम सरकार द्वारा मानागुआ में जेसुइट संचालित यूसीए को बंद करने के एक सप्ताह बाद आया है, जो राष्ट्रपति डानिएल ओर्तेगा के शासन के खिलाफ 2018 के विरोध प्रदर्शन का केंद्र था, यह तर्क देते हुए कि यह "आतंकवाद का केंद्र" था।
सैंडिनिस्ता शासन जिसने 2021 से लगभग 26 निकारागुआन विश्वविद्यालयों को बंद कर दिया है, कुछ ही दिन पहले जेस्विट संचालित विश्वविद्यालय को बंद किया और इसके तीन दिन बाद, पुरोहितों के एक समुदाय को, उनके निवास से बेदखल कर दिया।
इन कार्रवाईयों पर दुनियाभर में येसु समाजियों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई है, जिसमें धर्मसंघ के सुपीरियर जनरल, फादर अर्तूरो सोसा, भी शामिल हैं।
पिछले सप्ताह एक बयान में, सोसाइटी ऑफ जीसस के मध्य अमेरिकी प्रोविंस ने सरकारी नीति को मानवाधिकारों का एक व्यवस्थित उल्लंघन बताया, जिसका उद्देश्य "एक अधिनायकवादी राज्य को मजबूत करना है।"
मध्य अमेरिकी जेसुइट प्रोविस की निंदा
बुधवार, 23 अगस्त को जारी एक नए बयान में, जेसुइट प्रोविंस ने "निकारागुआ में जेसुइट आदेश के खिलाफ नई आक्रामकता" की कड़ी निंदा की और, निकारागुआ सरकार से अपनी अपील दुहरायी कि वह अपने "व्यवस्थित दमन" और मानव अधिकारों के उल्लंघन के साथ देश को अधिनायकवादी राज्य की ओर लेने के कार्य को रोके।
बयान में आगे राष्ट्रपति ओर्तेगा और उनकी पत्नी, उप-राष्ट्रपति रोसारियो मुरिलो से इस विवाद का "एक तर्कसंगत समाधान" तलाशने का आग्रह किया गया है, जिसमें कहा गया है कि "सच्चाई, न्याय, संवाद, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान, कानून का शासन" शामिल हो। देश में काम कर रहे जेसुइट्स और उनके सहयोगियों की स्वतंत्रता और पूर्ण अखंडता का सम्मान हो।
अंत में, मध्य अमेरिका के जेसुइट प्रांत ने निकारागुआ में सरकारी दमन के "हजारों पीड़ितों" के प्रति अपनी निकटता व्यक्त की, जो "न्याय और मुआवजे की प्रतीक्षा कर रहे हैं" और इस संकट के दौरान प्राप्त विश्वव्यापी समर्थन और एकजुटता के लिए आभार व्यक्त किया।
सैंडिनिस्ता सरकार और कलॶसिया के बीच बिगड़ते रिश्ते
निकारागुआ के अधिकारियों द्वारा 2018 में विवादास्पद सरकार-प्रायोजित सुधारों की एक श्रृंखला के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगाने के बाद से राष्ट्रपति डानिएल ओर्तेगा के शासन और काथलिक कलॶसिया के बीच संबंध तेजी से बिगड़ गए हैं। ओर्तेगा ने धर्माध्यक्षों पर उन्हें उखाड़ फेंकने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
तब से, कलॶसिया कई हमलों, अपमान और धमकी का निशाना रहा है, और पुरोहित एवं धर्मसमाज के कई सदस्यों को या तो निष्कासित कर दिया गया है, या गिरफ्तार किया गया है। इनमें माटागल्पा के धर्माध्यक्ष रोलैंडो अल्वारेज़ भी शामिल हैं, जो उच्च राजद्रोह, राष्ट्रीय अखंडता को कमजोर करने और झूठी खबरें फैलाने के आरोप में 26 साल की जेल की सजा काट रहे हैं।
2019 में, मानागुआ के सहायक धर्माध्यक्ष सिल्वियो जोस बेज़ को कई मौत की धमकियाँ मिलने के बाद महाधर्मप्रात छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था, और वर्तमान में वे अमेरिका में रह रहे हैं।
2022 में, निकारागुआ के प्रेरितिक राजदूत, महाधर्माध्यक्ष वाल्डेमर स्टैनिस्लाव सोमर्टाग को "पर्सोना नॉन ग्राटा" (अवांछित व्यति) के रूप में निष्कासित कर दिया गया, और निकारागुआ सरकार द्वारा राजनयिक संबंधों को निलंबित करने के प्रस्ताव के बाद, इस साल अप्रैल में, परमधर्मपीठ ने मानागुआ में अपना राजदूतावास बंद कर दिया।
विरोध पर प्रहार
निष्कासन, बंदी और जब्ती ने केवल काथलिक कलॶसिया को निशाना नहीं बनाया है। निकारागुआ ने 3,000 से अधिक नागरिक समूहों और गैर-सरकारी संगठनों को गैरकानूनी घोषित कर दिया है या बंद कर दिया है। मई में, सरकार ने 2018 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान "शांति और स्थिरता पर हमलों" का आरोप लगाते हुए निकारागुआन रेड क्रॉस को बंद करने का आदेश दिया।
जून में, सरकार ने अधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों सहित 222 विपक्षी हस्तियों की संपत्तियों को जब्त कर लिया, जिन्हें ओर्तेगा के शासन द्वारा कैद किए जाने के बाद फरवरी में निर्वासन के लिए मजबूर किया गया।
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