संत पापा मछुआरों और डॉक्टरों से : मिलकर काम करें, अस्वीकृत लोगों के प्रति संवेदनशील रहें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 23 नवंबर, 2024 (रेई) : शनिवार 23 नवंबर को वाटिकन के संत पॉल षष्टम सभागार में इटली के विभिन्न हिस्सों से आए मछुआरों और इतालवी धर्माध्यक्षीय सम्मेलन द्वारा प्रचारित यूरोप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं पर हो रहे सम्मेलन के प्रतिभागियों से संत पापा फ्राँसिस ने मुलाकात की।
संत पापा ने कहा, “विश्व मत्स्य पालन दिवस से कुछ दिन पहले, समुद्री दुनिया के प्यारे भाइयों और बहनों, मैं सबसे पहले आपको संबोधित करता हूँ। आपका व्यवसाय बहुत पुराना है; कलीसिया की शुरुआत भी इससे जुड़ी हुई है, जिसे ईसा मसीह ने पेत्रुस को सौंपा था, जो गलील में एक मछुआरा था।” संत पापा ने कहा कि आज यह व्यवसाय विभिन्न कठिनाइयों का सामना कर रहा है। इसलिए उन्होंने उनके कार्यों के महत्व और इस मूल्य से जुड़े मिशन पर विचार करने का सुझाव दिया।
संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में मछुआरे महत्वपूर्ण दृष्टिकोण अपनाते हैं। उदाहरण के लिए, शिष्यों ने विपरीत हवा के कारण रातभर कड़ी मेहनत की परंतु थके हुए वे खाली हाथ जमीन पर लौटते हैं, कहते हैं: "हमने काम किया है" पूरी रात कड़ी मेहनत की और हमने कुछ नहीं खाया" (लूकस 5:5)। संत पापा ने उनसे कहा कि चेलों के समान वे भी कड़ी मेहनत करते हैं, जिसमें सामान्य चुनौतियों और नई समस्याओं का सामना करते हैं, जैसे कि कठिन पीढ़ीगत परिवर्तन, लगातार बढ़ती लागत, दम घोंटने वाली नौकरशाही, बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा आदि। इनका सामना करने के लिए त्याग और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। हालाँकि, यह आपको हतोत्साहित नहीं करता है, इसके विपरीत यह आपकी एक और विशेषता को बढ़ावा देता है: एकता। समुद्र में जाल डालने के लिए एक दल के रूप में, या इससे भी बेहतर एक समुदाय के रूप में एक साथ काम करना आवश्यक है, जिसमें भूमिकाओं की विविधता के बावजूद, हर किसी के काम की सफलता हर किसी के योगदान पर निर्भर करती है। इस तरह मछली पकड़ना जीवन का एक स्कूल बन जाता है, इस हद तक कि येसु इसे प्रेरितों के आह्वान को इंगित करने के लिए एक प्रतीक के रूप में उपयोग करते हैं: "मेरे पीछे आओ, और मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुआरे बनाऊंगा।" (मारकुस 1:17)
संत पापा ने उन्हें उनके संरक्षक संत, पावला के संत फ्रांसिस की मध्यस्ता में सौंपा।
हर किसी को देखभाल की जरूरत है
इसके बाद संत पापा ने यूरोप में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं पर हो रहे सम्मेलन के प्रतिभागियों को संबोधित किया। और एक टीम के रूप में मिलकर काम करने के अनुभव के दो पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया।
पहला पहलूः उन लोगों की देखभाल करना जो दूसरों की देखभाल करते हैं। संत पापा ने कहा, “वास्तव में यह महत्वपूर्ण है कि आप स्वास्थ्यकर्मी भी ऐसे ही लोग हैं, जिन्हें उन भाई-बहनों की तरह ही सहायता की ज़रूरत है, जिनका आप इलाज करते हैं। भीषण पारियों की थकान, जो चिंताएँ आप अपने दिल में रखते हैं और जो दर्द आप अपने रोगियों से इकट्ठा करते हैं, उसके लिए आराम और उपचार की आवश्यकता होती है। इस कारण से मैं आग्रह करता हूँ कि आप स्वयं की उपेक्षा न करें, बल्कि एक दूसरे के संरक्षक बनें; और मैं हर किसी से कहता हूँ कि आपकी उदारता को पहचानना और उसका प्रतिदान करना, आपको सम्मान, आदर और मदद की गारंटी देना महत्वपूर्ण है।”
दूसरा पहलू : सबसे कमजोर लोगों के लिए करुणा। संत पापा ने कहा कि वास्तव में, कोई भी व्यक्ति इतना आत्मनिर्भर नहीं है कि उसे देखभाल की आवश्यकता नहीं है, तो इसका मतलब यह है कि किसी को भी इस हद तक हाशिए पर नहीं रखा जा सकता है कि उसकी देखभाल नहीं की जा सके। आप जिस स्वास्थ्य प्रणाली और सेवाओं से आते हैं, इस अर्थ में, उनमें संवेदनशीलता का एक महान इतिहास है, विशेष रूप से उन लोगों के प्रति, जिन तक "सिस्टम" की पहुंच नहीं है, "त्याग दिए गए" लोगों के प्रति। संत पापा ने संत जॉन ऑफ गॉड, संत जोसेफ मोस्काती, कलकत्ता की संत तेरेसा आदि अनेक संतों को याद दिया जिन्होंने सदियों से बीमारों और तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाओं की स्थापना की है; वे सभी सच्चे "चिकित्सक" थे, वे पीड़ित लोगों के बिस्तर पर झुकते थे।
संत पापा ने उन्हें स्वास्थ्य प्रणालियों को भीतर से सक्रिय करने को कहा, ताकि कोई भी छूट न जाए या त्यागा न जाए।
परिवार, स्वस्थ और बीमारों के लिए "दवा"
संत पापा ने कहा कि वे पूरे परिवार के साथ मिलने आये हैं। परिवार, समाज की इकाई के महत्व की याद दिलाते हुए कहा यह दोनों उनके कार्यों के लिए मौलिक है। उनके परिवार के सदस्य उनके काम के कठिन समय और लय के अनुरूप ढलते हुए उन्हे मदद करते हैं, जो सिर्फ एक पेशा नहीं है, बल्कि एक "कला" है, और इसलिए इसमें पूरा व्यक्ति और उनका वातावरण शामिल है। फिर उस सहयोग के लिए जो आपके परिवार के सदस्य आपकी कड़ी मेहनत में और अक्सर गतिविधि में ही आपका सहयोग देते हैं। अत में संत पापा ने उनसे आग्रह किया कि वे अपने पारिवारिक रिश्तों की रक्षा करें: वे स्वस्थ और बीमार दोनों के लिए "दवा" हैं। अलगाव और व्यक्तिवाद, वास्तव में, आशा को हानि पहुंचाने के द्वार खोलते हैं और यह आत्मा और अक्सर शरीर को बीमार बनाता है।
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